सीलिंग के दर्द ने बृजेश गोयल को दिया बड़ा लक्ष्य: नई दिल्ली संसदीय सीट से आप प्रभारी की दास्तान
नई दिल्ली के व्यवसाय जगत में बृजेश गोयल का नाम जाना पहचाना है। आम आदमी पार्टी की ट्रेड विंग के दिल्ली प्रदेश संयोजक के तौर पर उन्होंने कई बड़े अभियान संचालित किए। चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज (सीटीआई)
के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर भी उनकी अलग पहचान है।
के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर भी उनकी अलग पहचान है।
लेकिन अब उन्हें नई दिल्ली संसदीय सीट से आम आदमी पार्टी के प्रभारी के तौर पर बड़ा दायित्व मिला है। समझा जाता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में वह नई दिल्ली सीट के प्रत्याशी भी होंगे। मूलतः ऑटो स्पेयर्स के व्यवसाय से जुड़े श्री गोयल का बचपन जयपुर में बीता। साइंस में स्नातक के बाद उन्होंने दिल्ली में व्यवसाय प्रारंभ किया। योगा, क्रिकेट और बेडमिन्टन से खासा जुड़ाव है। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं में भी काफी सक्रियता है।
लेकिन राजनीति से जुड़ने का खास मकसद और संयोग है। व्यवसाय के दौरान इंस्पेक्टर राज और भ्रष्टाचार की स्थितियां उन्हें बेचैन किया करतीं।
इसीलिये जब इंडिया अगेंस्ट करप्शन ने जनलोकपाल आंदोलन शुरू किया, तो उन्होंने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस क्रम में वह आम आदमी पार्टी से भी जुड़ गए। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया तथा कई शीर्ष नेताओं से भी गहरा जुड़ाव हो गया। नौ मई 2013 को उन्होंने आप ट्रेड विंग के दिल्ली प्रदेश संयोजक का दायित्व संभाला।
इसके साथ ही उनकी राजनीतिक यात्रा प्रारंभ हुई। दिल्ली में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की सीलिंग के मामलों ने श्री गोयल को आहत किया और इसके खिलाफ उन्होंने जमकर मोर्चा खोला। पूरी दिल्ली में सीलिंग के खिलाफ अभियान चलाने तथा व्यापारियों को राहत दिलाने की अनवरत लड़ाई के लिए बृजेश गोयल को जाना जाता है। अब नई दिल्ली लोकसभा सीट 10 विधानसभा सीटों में घूम घूम कर जनसंपर्क के दौरान उन्हें नागरिकों तथा खासकर व्यवसायियों के दर्द से जुड़ने का अवसर लगातार मिल रहा है।
आप ट्रेड विंग संयोजक बृजेश गोयल, अरविन्द केजरीवाल के साथ |
नई दिल्ली संसदीय सीट को देश की काफी प्रतिष्ठित सीट माना जाता है। जनसंघ के संस्थापक बलराज मधोक यहां से सांसद रहे। भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी यहाँ से सांसद रहे। राजेश खन्ना, विजय गोयल, अजय माकन, जगमोहन जैसे सांसदों के कारण यह प्रतिष्ठा की सीट मानी जाती है।
इस संसदीय सीटमें 10 विधानसभा क्षेत्र हैं। सभी दस क्षेत्रों से आप के विधायक हैं। यहां तक कि नई दिल्ली विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विधायक हैं। लिहाजा, आम आदमी पार्टी के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट का खास महत्व है।
बृजेश गोयल के लिए नई दिल्ली की मंडियों और कॉलोनियों में घर-घर घूमकर जनसंपर्क और पदयात्रा करना अब रोजाना की दिनचर्या का हिस्सा है। बस्तियों और झुग्गियों में भी वह लगातार जा रहे हैं। दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, परिवहन, डोरस्टेप डिलीवरी, तीर्थ यात्रा जैसे कामों पर नागरिकों से चर्चा करते हैं। इस दौरान लोग अपनी समस्या बताते हैं। स्थानीय विधायक, अधिकारियों अथवा कार्यकर्ताओं के माध्यम से इनका हल करने की कोशिश भी करते हैं।
व्यवसायियों से मुलाकात होती है तो नोटबंदी, जीएसटी और सीलिंग जैसे मामले सहज तौर पर सामने आ जाते हैं। श्री गोयल के अनुसार लगभग 12 साल पहले भी सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग कमिटी ने सीलिंग की थी लेकिन उस वक्त कन्वर्जन चार्ज लेकर तथा एफएआर बढ़ाकर सीलिंग का हल निकाल दिया गया था।
बृजेश गोयल, अरविन्द केजरीवाल और अन्य राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के साथ |
अब 2017 में फिर से सीलिंग प्रारंभ हुई। एमसीडी के माध्यम से हो रही सीलिंग को रोकने के लिए कानून में संशोधन के लिए सक्षम होने के बावजूद केंद्र सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है। यह व्यवसायियों के लिए नाराजगी का विषय है।
बृजेश गोयल के अनुसार पुराने मार्केट में बाइलॉज के उल्लंघन के लिए सिविल एजेंसियां तथा वार्ड काउंसिलर्स जिम्मेवार हैं। जो व्यवसायी 40 साल से अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं, उन्हें अचानक बंद कर देना अमानवीय है। 15 साल से एमसीडी तथा भाजपा ने कमर्शियल चार्जेस के नाम पर काफी राशि ली, लेकिन इसका कोई हल नहीं निकाला।
बृजेश कहते हैं कि अगर केंद्र सरकार चाहे, तो एक विधेयक लाकर सीलिंग से तत्काल राहत दिलाई जा सकती है। मास्टर प्लान में संशोधन करके ऐसा करना मुश्किल नहीं संभव है।
श्री गोयल बताते हैं कि सीलिंग का हल करने योग्य सभी एजेंसियां भाजपा के पास है। दिल्ली नगर निगम, डीडीए और एलजी सब बीजेपी के हैं। जमीन पर केंद्र और एलजी का नियंत्रण है। दिल्ली सरकार न तो सीलिंग करती है और न रोक सकती है। दिल्ली सरकार के पास अगर नियंत्रण होता, तो विधानसभा से कानून बनाकर राहत दे दी जाती। लेकिन यह मामला तो संसद में कानून बनाने से ही हल होगा।
बृजेश गोयल के अनुसार दिल्ली के सातों सांसदों को सीलिंग के दर्द का अहसास नहीं है। उन्हें अगर यह अहसास होता कि इससे कितना नुकसान हो रहा है, तो दिल्ली के सातों सांसद मिलकर केंद्र पर दबाव डालकर इसका हल निकालते। इसीलिये बृजेश गोयल ने 'सीलिंग की फीलिंग' कराओ अभियान चलाया है।
सवाल यह है कि व्यापारी वर्ग तो भाजपा का परंपरागत वोटबैंक है, उसे बचाने के लिए भाजपा कोई कदम क्यों नहीं उठाती? इसके जवाब में श्री गोयल कहते हैं कि भाजपा ने देश की किसी भी समस्या का समाधान नहीं किया। उसे सिर्फ बड़े कारपोरेट की चिंता है।
श्री गोयल के अनुसार नई दिल्ली संसदीय सीट को विविधता में एकता का अच्छा उदाहरण माना जा सकता है। यहाँ बड़ी कोठियां हैं, तो झुग्गियां भी हैं।
श्री गोयल दो माह से घर-घर जनसंपर्क कर रहे हैं। इस दौरान स्थानीय लोगों से दिलचस्प बातें सुनने को मिलती हैं। स्थानीय सांसद के बारे में लोग कहते हैं- "मीनाक्षी लेखी, कभी न देखी।"
श्री गोयल के अनुसार 2015 में सरकार बनने से पहले दिल्ली का वार्षिक बजट मात्र तीस हजार करोड़ था। आप सरकार में बढ़कर 53 हजार करोड़ हो गया। इसके पीछे 'इज ऑफ़ डूइंग बिजनेस' एक बड़ा कारण है। पहले जिन चीजों पर 12.5 फीसदी वैट लगता था, उसे घटाकर मात्र 5 फीसदी कर दिया। इससे जो लोग पहले बिल नहीं बनवाते थे, वे भी बनवाने लगे। इसके कारण रजिस्टर्ड ट्रेडर्स की संख्या भी काफी बढ़ी। श्री गोयल के अनुसार टैक्स कम होने से लोग ख़ुशी से दे रहे हैं।
आप ट्रेड विंग - वोमेन विंग की शुरुयात के दौरान बृजेश गोयल |
श्री गोयल के अनुसार नई दिल्ली लोकसभा सीट में आम आदमी पार्टी काफी मजबूत स्थिति में है। 2014 में आशीष खेतान ने आप प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। उस वक्त काफी प्रतिष्ठाजनक वोट मिले। वह मोदी लहर का दौर था। दिल्ली सरकार से इस्तीफा के कारण आप के खिलाफ नकारात्मक भावना थी। इसके बावजूद आप ने भाजपा को शानदार टक्कर दी। इस बार ऐसा कोई नकारात्मक विषय नहीं है। मोदी सरकार और सातों सांसदों की नाकामी एक बड़ा मुद्दा है। दूसरी ओर, आप सरकार के अच्छे काम की हर जगह तारीफ हो रही है।
श्री गोयल के अनुसार इस बार दिल्ली के लोग प्रधानमंत्री के लिए नहीं, बल्कि अपने स्थानीय सांसद के लिए वोट करेंगे। सातों सांसद आप के होंगे, तो राज्य सरकार भी मजबूत होगी। दिल्ली में आम धारणा है कि केजरीवाल काम करना चाहता है, लेकिन मोदी करने नहीं देता। इसलिये जनता अब दिल्ली सरकार के पास पूरी शक्तियां देखना चाहती है।
सरल और मृदुभाषी होने के बावजूद श्री गोयल की राजनीतिक स्टाइल काफी आक्रामक है। यही उनकी खास पहचान है। पिछले दिनों भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सांसद मनोज तिवारी ने एक सीलिंग का ताला तोड़ दिया। तब बृजेश गोयल ने कहा कि एक नहीं, सारे बीस हजार ताले तोड़ने की जरूरत है।
इस क्रम में सोशल मीडिया में मनोज तिवारी के साथ बृजेश गोयल का दिलचस्प संघर्ष चला। श्री गोयल ने उन्हें सीलिंग पर खुली बहस की चुनैती दी। श्री तिवारी ने पहले तो समय और स्थान तय करने कहा, लेकिन वक्त पर नहीं आए। टाउनहॉल में रखी गई इस बहस के मंच पर मनोज तिवारी की तख्ती चिपकी कुर्सी खाली पड़ी रह गई।
अपने जुझारूपन और व्यापक जनसंपर्क के कारण श्री गोयल को विभिन्न संस्थाओं का सहयोग मिलता है। 23 दिसंबर से प्रारंभ 'सीलिंग की फीलिंग' अभियान में भी यह बात दिख रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि सीलिंग की लड़ाई किस मुकाम पर पहुंचेगी और इससे लोकसभा तक पहुंचने का मार्ग खुलेगा, अथवा नहीं।
बृजेश गोयल के साथ आप का रेडियो कॉल की पूरी वार्ता के लिए यह वीडियो देखे
(आप का रेडियो वार्ता के आधार पर डॉ विष्णु राजगढ़िया द्वारा प्रस्तुत)
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